काही लोक बोलता बोलता गप्प झाले
काही लोक हसता हसता उदास झाले
काही लोक धावता धावता थांबले
काही लोक चालता चालता सरपटायला लागले
काही उभे असलेले लोक वाकले
कारण,
या सर्वांसोबत
कविता नव्हती.
मराठी अनुवाद
भरत यादव
Bharat Yadav
मूळ हिंदी कविता
कविता
कुछ लोग बोलते बोलते चुप हो गए
कुछ लोग हंसते हंसते मायूस हो गए
कुछ लोग दौड़ते दौड़ते रुक गए
कुछ लोग चलते चलते रेंगने लगे
कुछ खड़े लोग झुक गए
इन सब के साथ क्योंकि
कविता नही थी
©वीरेंदर भाटिया
Virender Bhatia