खरं नका बोलू
गाठी नका खोलू
भीत राहा,घाबरत राहा
सत्तेची गुलामी
हरेक गोष्टीची हमी
करत राहा, घेत राहा
बना भ्रष्टांचे खास
हिरवा हिरवा तृणघास
खात राहा,चरत राहा
गा गुणगाथा
चरणांवर माथा
टेकवत राहा,टेकवत राहा
चाला अंध वाटा
घुसमटीत निःश्वास
सोडत राहा,सोडत राहा
आतल्या आत
आत्मग्लानी बनून
झरत राहा,झरत राहा
विसरून जा भाव-बोध
करू नकात विरोध
मरत राहा,मरत राहा
मराठी अनुवाद
भरत यादव
Bharat Yadav
मरे हुये ज़मीर के लोगों के लिये
सच मत बोलो
गाँठ मत खोलो
डरते रहो,डरते रहो
सत्ता की ग़ुलामी
हर बात में हामी
करते रहो,करते रहो
बनो भ्रष्टों के खास
हरी हरी घास
चरते रहो,चरते रहो
गाओ गुण-गाथा
चरणों में माथा
धरते रहो,धरते रहो
चलो अँध राहें
घुट घुट कर आहें
भरते रहो,भरते रहो
भीतर ही भीतर
आत्मग्लानि बन कर
झरते रहो,झरते रहो
भूल जाओ भाव-बोध
मत करो प्रतिरोध
मरते रहो,मरते रहो
©कैलाश मनहर
Kailash Manhar
धन्यवाद साथी
उत्तर द्याहटवास्वागत एवं बेहद शुक्रिया सर।
हटवा