कोलकाता-इन्सानी रिक्षा

कोलकाता-इन्सानी रिक्षा

कोलकाता-इन्सानी रिक्षा

आसमान को पीठ पर 
ढ़ोते हुए
जाते हाथी
खेलते हैं मेरी 
नस-नस में।
जब मैं खिंचता हुॅं
इस महानगर में
इन्सानी रिक्षा
घोड़ो का 
विकल्प बनकर।

हिन्दी अनुवाद
भरत यादव
Bharat Yadav

मूल मराठी कविता

आभाळाला पाठीवर घेऊन 
जाणारे हत्ती
खेळतात माझ्या नसानसांत
जेव्हा 
मी ओढतो या महानगरात
माणूसरिक्षा
घोड्यांना पर्याय म्हणून !

©योगिनी राऊळ
Yogini Raul

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