बंद आहे...!

बंद आहे...!

                                                      चित्रः अनुप्रिया 

बंद आहे...!

घरं जळताहेत
कुणी बादल्या घेऊन पळत नाहीये

झाडं जळताहेत
कुणी ढग घेऊन पळत नाहीये

लोक जळताहेत
कुणी अश्रू घेऊन पळत नाहीये

युद्ध सुरू आहे
प्रेमाचा सर्व व्यवहार बंद आहे!

मराठी अनुवाद
भरत यादव
Bharat Yadav

मूळ हिंदी कविता

बंद है

घर जल रहे हैं 
कोई बाल्टियाँ लेकर नहीं दौड़ रहा 

पेड़ जल रहे हैं 
कोई बादल लेकर नहीं दौड़ रहा

लोग जल रहे हैं 
कोई आँसू लेकर नहीं दौड़ रहा 

युद्ध चल रहा है 
प्रेम का सब कारोबार बंद है।

©संजीव कौशल
Sanjeev Koushal

                      युद्धग्रस्त युक्रेनमधील एक कलाकृती
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