अल्पसंख्याक एखादा धर्म वा
जात नाही
ब्राह्मणांच्या गावात दलित आणि
आदिवासींच्या गावात
ब्राह्मण शिक्षकाचे कुटुंब असते
अल्पसंख्याक
या गल्लीत शीख
त्या मोहल्ल्यात ख्रिस्ती आहेत अल्पसंख्याक
या देशात मुस्लीम
त्या देशात हिंदू आहेत अल्पसंख्याक
मी कशी ना रोखावी तुझी घृणा
मी जिथे राहाते
तिथे मी स्वतः आहे अल्पसंख्याक.
मराठी अनुवाद
भरत यादव
Bharat Yadav
मूळ हिंदी कविता
अल्पसंख्यक
अल्पसंख्यक कोई धर्म या जाति नहीं
ब्राह्मणों के गांव में दलित
और आदिवासियों के गांव में
ब्राह्मण मास्टर का परिवार है अल्पसंख्यक
इस मोहल्ले में सिक्ख
उस मोहल्ले में ईसाई हैं अल्पसंख्यक
इस देश में मुसलमान
उस देश में हिंदू है अल्पसंख्यक
मैं कैसे न रोकूं तुम्हारी नफ़रत
मैं जहाँ रहती हूँ
वहाँ मैं खुद हूँ अल्पसंख्यक।
©शेफ़ाली शर्मा
Shefali Sharma
आभार
उत्तर द्याहटवाइस बेहतरीन रचना के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया,शेफाली जी।
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