शरीर पडो ना थंड,ते चुलीत घातले जावे
गाडल्या मढ्यांना सरपण बनवले जावे
बादशहाचा हुकूम हा,त्याचे नीट पालन व्हावे
पेटत्या चितांवर चहाचे आधण ठेवले जावे
प्रत्येकाच्या आहाराची तो बहू काळजी वाहतो
म्हणतो,मानवी हाडकांवरती श्वान पाळले जावे
खूनसत्र त्याच्याच हातून,परि दोषारोप दूसर्यांवरती
यत्र तत्र सर्वत्र,असेच काहीसे रक्त उधळले जावे
बादशहाची स्कीम आहे,सत्वर पोहोचेल सर्वांप्रती
की चिताग्नीने,देशामधले हरेक घर उजळावे
सांभाळता येईना ज्याला, स्व-लंगोटीदेखील
'राज्यशकट हे हाकू चला',बोलती नागव्यांना नागवे
मराठी अनुवाद
भरत यादव
Bharat Yadav
मूळ हिंदी गझल
बादशाह का हुक़्म
ठंडा न पड़ जाये जिस्म, चुल्हे में डाला जाये
जो मुर्दे गड़े हैं ,उन्हें लकड़ी में ढाला जाये।
बादशाह का हुक़्म है ये, हुक़्म की तामील हो
जलती चिता पर बादशाह का चाय उबाला जाये।
हर किसी की दावत का भरपूर वो रखता ख़याल
कहता है इंसानी हड्डियों पर,कुत्तों को पाला जाये।
क़त्ल हो उसके ही हाथों, हो ज़ुर्म किसी और पर
हर तरफ, कुछ इस तरह, खून को उछाला जाये।
स्किम बादशाह की है,जल्द ही पहुँचेगा सब तक
कि चिता की आग से ,हर घर में उजाला जाये।
संभल नहीं रहा जिससे खुद का एक लंगोट भी
नंगों ने नंगों से कहा चलो ताज संभाला जाये।
© बच्चा लाल 'उन्मेष'
Bachcha Lal Unmesh