ज्या इतिहासात आमची फक्त बदनामी आहे
आम्ही तो इतिहास पुसून टाकू
जिथे हुतात्म्यांच्या रक्तात आमचा एक थेंबसुद्धा नाही,
चमचमत्या,नाचत्या फवार्याने
आम्ही त्या रक्ताला पुसून टाकू
ते सारे दस्तऐवज,स्मारक,आठवणी
जी आमच्या फितुरीची आठवण देत असतात,
आम्ही सर्वकाही सुरूवातीपासून
पुसून टाकू
आम्ही स्वातंत्र्य संग्रामाचा
आमचा नवा नाचता खिदळता इतिहास लिहू
आम्ही गुलाम आज्ञाधारक लाळघोटे
जालियनवाला बागेला रम्य पर्यटन स्थळ बनवू
इतिहासा!
तू आता बघच!
आमच्या हाती आता तुझी खैर नाही
इतिहास संस्कृती,स्वातंत्र्य आणि परंपरेचा नव्हे
इतिहास असतो
फक्त गुलामीपासून गुलामीपर्यंतचा
ते याचा विचारच करत राहिले
पण त्यांना माहितच नाही झाले
इतिहास तर धरती,आकाश,वार्यात अद्यापही
सुरक्षित होता,
त्यांच्या अहंकारावर हसत होता!
मराठी अनुवाद
भरत यादव
Bharat Yadav
मूळ हिंदी कविता
सुप्रसिद्ध इतिहासकार आदरणीय इरफ़ान हबीब साहब को जन्मदिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ ।
वे स्वस्थ रहें और इतिहास को झुठलाने और मनमाने ढंग से इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की कुचेष्टाओं के खिलाफ हमेशा आवाज़ उठाते रहें।
जन्मदिन पर इस कविता के साथ उन्हें बहुत बधाई ।
इतिहास हंस रहा है !
जिस इतिहास में हमारे नाम सिर्फ़ बदनामी है
हम वो इतिहास मिटा देंगे !
जहाँ शहीदों के खून में हमारा एक कतरा भी नहीं,
चमचमाते, नाचते फ़व्वारों से
हम उस खून को मिटा देंगे !
वो सारे दस्तावेज, स्मारक, स्मृतियाँ
जो हमारी मुखबिरी की याद दिलाती है,
हम सबको एक सिरे से मिटा देंगे !
हम आज़ादी के आंदोलन का अपना नया
नाचता-कूदता, खिलखिलाता इतिहास लिखेंगे !
हम गुलाम आज्ञाकारी चाटुकार
जलियाँवाला बाग को रमणीय पर्यटन स्थल बनाएँगे !
इतिहास !
तुम अब देखो !
हमारे हाथों अब तुम्हारी ख़ैर नहीं !
इतिहास सभ्यता, स्वतंत्रता और संस्कृति का नहीं,
इतिहास होता है
सिर्फ़ ग़ुलामी से ग़ुलामी तक का ।
वे यह सोचते ही रह गए
पर उन्हें पता भी नहीं चला !
इतिहास तो धरती ! आकाश ! हवा में
अब भी सुरक्षित था !
उनके अहंकार पर
हँस रहा था !
©सरला माहेश्वरी
Sarala Maheswari