उपदेश

उपदेश

उपदेश

एक व्यक्ती प्रवचन करीत होती,
'मोठे होण्याचे दोन मार्ग आहेत,
एक तर हा 
की सर्वांना क्षमा करीत चला'

मग प्रवचनकाराने रहस्यमय मौन धारण केले.
प्रवचनकार खूप वेळ गप्प बसून राहिला.

एका उत्सुक श्रोत्याने विचारले,
दूसरा मार्ग सांगा गुरूदेव.

प्रवचनकार म्हणाला,
दूसरा हा की, 
कुणाला क्षमा करू नका.

मराठी अनुवाद
भरत यादव
Bharat Yadav

मूळ हिंदी लघुकथा

एक व्यक्ति प्रवचन कर रहा था कि
 "बड़ा होने के दो मार्ग हैं।
एक तो यह कि सब को माफ करते चलो।"

फिर प्रवचन करने वाले ने रहस्यमयी चुप्पी साध ली।
प्रवचन कर्ता बडी देर तक खामोश बैठा रहा

किसी उत्सुक listner ने पूछा। 
दूसरा मार्ग बताओ गुरुवर

प्रवचन कर्ता बोला, 
दूसरा यह कि किसी को माफ मत करो।

©वीरेंदर भाटिया
virendar bhatia
टिप्पणी पोस्ट करा (0)
थोडे नवीन जरा जुने