असे म्हटले जाते की
समुद्राला भेटण्यापूर्वी
नदी भीतीने थरथरत असते
ती मागे वळून त्या मार्गाकडे
पाहायला लागते
ज्यावरुन चालत..वाहत
पर्वतशिखरे
जंगलं,गावं आणि
लांबलचक गोल गोल रस्ते पार करीत
ती पोहोचली आहे,इथपर्यंत...
आणि ती आपल्यासमोर
एक अथांग समुद्राला पाहाते
ज्यात तिला प्रवेश करायचा आहे
आणि जिथे कायमस्वरुपी हरवून जाण्याशिवाय आणखी काहीच शिल्लक उरलेले नाही
परंतू तिच्याजवळ
अन्य मार्गसुद्धा नाहीये
नदी माघारी जाऊ पण शकत नाही
कुणीही माघारी जाऊ शकत नाही
परतणे अशक्य होऊन जाते,
कुणाचेही आपल्या अस्तित्वात
नदीला समुद्रात प्रवेश करण्यासाठी
जोखिम उचलण्याची गरज आहे
फक्त तेव्हाच भीती सरेल
कारण तिथे नदी जाणेल की
नदीचे समुद्राला भेटणे म्हणजे
नदीचे हरवून जाणे नव्हे
तर समुद्र होणे आहे.
मराठी अनुवाद
भरत यादव
Bharat Yadav
हिंदी अनुवाद
मिथिलेश राॅय
Mithilesh Rai
खलील जिब्रान की यह कविता मुझे बड़ी अच्छी लगती रही है।यह अपने शिल्प शैली व कहन में अनुपम भी है। प्रस्तुत है इसका , भावानुवाद
भय
ऐसा कहा जाता है,
समुद्र में मिलने से पहले
नदी कांपने लगती है भय से
वह पीछे मुड़कर उस रास्ते को
देखने लगती है,
जिस पर चल कर
पहाड़ों की चोटियों,
जंगलों, गांवों व
लंबी घुमावदार सड़क पार करती हुई ,
वह पहुंची है,यहां तक
और वह अपने सामने
एक विशाल सागर को पाती है
जिसमें उसे प्रवेश करना है
और जहां सदा के लिए खो जाने के
अलावा और कुछ नहीं बचा है
लेकिन उसके पास
कोई रास्ता भी नहीं है
नदी वापस नहीं भी जा सकती
कोई भी वापस नहीं जा सकता
लौटना असंभव होता है,
किसी का भी अपने अस्तित्व में
नदी को सागर में प्रवेश करने के लिए
जोखिम उठाने की जरूरत है
केवल तभी भय मिटेगा
क्योंकि वहीं नदी जानेगी
नदी का सागर में मिलना
नदी का खो जाना नहीं है
बल्कि सागर हो जाना है
मूळ इंग्रजी कविता
It is said that before entering the sea
a river treambles with fear
She looks back at the path she has travelled
From the peaks of the mountains
The long winding road crossing forests and villages
And infront of her
She sees an ocean so vast
That to enter
There seems nothing more than to disappear
Forever
But there is no other way
The river can not go back
Nobody can go back
To go back is impossible in existence
The river neads to take the risk
Of entering the ocean
Because only then will fear disappear
Because that's where the river will know
It's not disappearing into the ocean
But of becoming the ocean
©Kahlil Gibran
खलिल जिब्रान